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लेखनी प्रतियोगिता -12-May-2022 पहली कमाई

पहरी कमाई होती है कुछ खास 
अद्भुत होता है उसका अहसास 
पंख लगाकर हवा में उड़ता आदमी 
चांद सितारों से आगे निकलता आदमी 

1984 दिसंबर में प्रोफेसर बना था
इस उपलब्धि पर मैं खूब तना था 
जब बाबू ने बुलाकर तनख्वाह पकड़ाई
कसम से दोस्तो, मेरी आंखें भर आई 

मन कर रहा था उड़कर गांव चला जाऊं 
"मेरे देवताओं" के चरणों में इसे चढा आऊं
पर दूरी बहुत ज्यादा थी , अत: जा न सका
दिल के जजबात किसी को दिखा ना सका 

तब आवश्यकताएं बहुत ज्यादा थीं 
मगर उम्मीद की चादर तन चुकी थी 
धीरे धीरे सारे सपने पूरे होते चले गये 
गुलाब की तरह हम भी खिलते चले गये 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
12.5.22 


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32 Comments

Seema Priyadarshini sahay

14-May-2022 06:39 PM

यूं गुलाब की तरह खिलते रहिए आदरणीय

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Anam ansari

14-May-2022 09:27 AM

Nice

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Haaya meer

13-May-2022 10:06 PM

Amazing

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-May-2022 03:31 AM

🙏🙏

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